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दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
Salutations towards the Goddess who may have the shape of root chants Who from the chant “Purpose” has the shape in the creator Who by website the chant “Hreem” has the shape of one who usually takes treatment of every thing And who by the chant “Kleem” has the shape of passion
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि